अभी तो सिर्फ़ लब खुले हैं जुबाँ मुखर हुई तो शब्दों की आँधी में ढ़ह जाएगी आधी से ज़्याद अभी तो सिर्फ़ लब खुले हैं जुबाँ मुखर हुई तो शब्दों की आँधी में ढ़ह जाएगी आधी ...
लकीरें हाथ में जो हैं, पुरानी हैं लकीरें हाथ में जो हैं, पुरानी हैं
तभी सब सच कहा करते, खुले चेहरे खुली किताब होते हैं, यह हंसी चेहरे हंसी चेहरे। तभी सब सच कहा करते, खुले चेहरे खुली किताब होते हैं, यह हंसी चेहरे हंसी चेह...
बदलाव जरूरी है... बदलाव जरूरी है...
सपने टूटते हैं बड़ी खामोशी से अपने लूटते हैं बड़ी खामोशी से । ज़र,जोरू,ज़मीन की ख़ातिर ह सपने टूटते हैं बड़ी खामोशी से अपने लूटते हैं बड़ी खामोशी से । ज़र,जोरू,ज़म...
बहुत तीखी धूप है यहां छाता तो मिलता है पर , माँ बाप के प्यार की छाया नहीं मिलती है। बहुत तीखी धूप है यहां छाता तो मिलता है पर , माँ बाप के प्यार की छाया नहीं ...